*आज कई शुभ संयोगों के साथ संकष्टी चतुर्थी* *चंद्रोदय रात्रि 09:38 बजे होगा*~~
*संकष्टी चतुर्थी पर गणेशजी के साथ लक्ष्मीजी की पूजा* ( डाँ, अशोक शास्त्री )~~
भाद्र मास भगवान विष्णुजी के अवतारों की पूजा के साथ विघ्नहर्ता गणेशजी के पूजापाठ के लिए भी जाना जाता है । भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है । मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डाँ, अशोक शास्त्री ने बताया कि इस दिन गणपतिजी की विधि विधान से पूजा की जातीहैं । इस बार संकष्टी चतुर्थी के दिन बहुत ही विशेष संयोग पड़ने के कारण इसे बहुत ही खास माना जा रहा है । आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी मान्यताएं, परंपराएं और पूजापाठ के नियम
संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ स्थानों पर बहुला चतुर्थी भी मनाई जाती है । डाँ, अशोक शास्त्री ने बताया कि इस बारे में ऐसी मान्यता है कि बहुला नामक कृष्णजी के पास एक गाय थी जो कि उन्हें बेहद प्रिय थी। भगवान कृष्ण बाल्यावस्था में उसी का दूध पीते थे । शास्त्रों के अनुसार, बहुला चतुर्थी के दिन व्रत रखने से संतान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और लंबी आयु की प्राप्ति होती है। बहुला चतुर्थी व्रत में गाय-बछड़े के साथ भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। यह व्रत संतान को मान सम्मान दिलवाने वाला और दीर्घायु प्रदान करने वाला व्रत है। इस दिन गाय के दूध और उससे बनी चीजों का उपयोग नहीं किया जाता है, सिर्फ बछड़े को ही दूध पिलाया जाता है। गुजरात में इस व्रत को बोल चौथ के नाम से किया जाता है।
डाँ, अशोक शास्त्री ने कहा कि संकष्टी चतुर्थी इस बार विशेष संयोग में पड़ रही है । इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शुक्रवार का शुभ संयोग भी पड़ रहा है । सर्वार्थ सिद्धि योग में गणेशजी की पूजा करने से आपके कार्यों में आ रही सभी प्रकार की अड़चनें समाप्त होती हैं और शुक्रवार का दिन होने से इस दिन गणेशजी की पूजा के साथ लक्ष्मीजी की पूजा का भी महत्व काफी बढ़ जाता है ।
पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणपति की आराधना करके विशेष वरदान प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन व्रत रखने से पारिवारिक कलेश भी खत्म हो जाते हैं । डाँ, अशोक शास्त्री के मुताबिक यदि किसी जातक के जीवन में लगातार परेशानियां आ रही हैं तो उसे संकष्टी चतुर्थी के दिन शक्कर मिली दही में छाया देखकर भगवान गणेश को अर्पित करनी चाहिए । इससे रुके हुए काम बन जाते हैं। गणेशजी को इस दिन दुर्वा चढ़ानी चाहिए । दुर्वा में अमृत का वास माना जाता है । गणेश जी को दुर्वा अर्पित करने से स्वास्थ का लाभ मिलता है ।
डाँ, अशोक शास्त्री ने बताया कि इस दिन व्रत करने वाले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और हाथ में जल अक्षत और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद लकड़ी की चौकी पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें और फिर पूजा करके उपवास की शुरुआत करें। शाम के वक्त गणेशजी का षोडशोपचार विधि से पूजन करें । उन्हें पुष्प, अक्षत, दुर्वा, चंदन, धूप-दीप, नैवेद चढ़ाएं और लड्डुओं का भोग लगाएं । रात्रि चंद्रोदय समय 09:38 बजे चंद्रमा को अर्घ देकर भोजन ग्रहण करें । ( डाँ, अशोक शास्त्री )
*ज्योतिषाचार्य*
डाँ, पं, अशोक नारायण शास्त्री
श्री मंगलप्रद् ज्योतिष कार्यालय
245, एम, जी, रोड ( आनंद चौपाटी ) धार, एम, पी,
मो, नं, 9425491351
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