*गणेश चतुर्थी पर 126 साल बाद बन रहा विशेष योग*~~
साथ भद्रा के बीच बिराजेंगे विघ्नहर्ता* ~~
*राशि के अनुसार जानिए किसे क्या फल मिलेगा* *( डाँ.अशोक शास्त्री )*~~
पूरे देश में भगवान श्री गणेश चतुर्थी को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं । मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डाँ. अशोक शास्त्री का कहना है कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी ऐसे समय में मनाई जा रही है जब सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में हैं। सूर्य और मंगल का यह योग 126 साल बाद बन रहा है। साथ सारे काम सिद्ध करने वाला साध्य योग भी हैं । यह योग विभिन्न राशियों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा । गणेशोत्सव के लिए मिट्टी के इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं पूजन के लिए श्रेष्ठ हैं । नागरिकों द्वारा घर - घर भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी । शनिवार 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी है । ऐसे में गणेश चतुर्थी पर हर साल जगह - जगह झांकी पांडाल सजाए जाते थे व प्रतिमाएं स्थापित की जाती थी, लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के चलते गणेशजी की झांकियां लगाना प्रतिबंधित है । साथ ही शारीरिक दूरी का पालन करने के भी निर्देश शासन स्तर से जारी किए गए हैं। वैसे यह गणेश चतुर्थी बहुत खास होने वाली है क्योंकि 126 साल बाद विशिष्ट योग बना रहा हैं ।
डाँ.अशोक शास्त्री ने कहा कि मान्यता है कि चतुर्थी के दिन मां पार्वती ने गणेश जी को जन्म दिया था। यह जन्म संसार में होने वाली संतान की तरह नहीं बल्कि दैवीय शक्ति के माध्यम दिया गया। गणेश जी का जन्म दोपहर में हुआ था इसलिए गणेश चतुर्थी की पूजा हमेशा दोपहर के मुहूर्त में की जाती है। ज्योतिषाचार्य डाँ.अशोक शास्त्री ने बताया कि चतुर्थी तिथि 21 अगस्त को रात 11.02 बजे से शुरू होकर 22 अगस्त की रात 7.56 बजे समाप्त होगी । साथ इस भद्रा भी दोपहर 12:05 से रात्रि 09:34 बजे तक रहेगी । लेकिन इसके बावजूद गणेश चतुर्थी पर भद्रा की मौजूदगी मे भी पार्थिव गणेश जी की स्थापना की जा सकती हैं । उनका पूजन संकट निवारणार्थ ही होता हैं । उनकी पूजा में भद्रा दोष नही लगता हैं ।
*गणेश चतुर्थी के शुभ मुहूर्त*
मध्याह्न गणेश पूजन मुहूर्त, :~ प्रातः 10:46 से दोपहर 01:57 बजे तक ।
वर्जित चंद्र दर्शन का समय :~ रात्रि 08:47 से 09:23 बजे तक रहेगा ।
चतुर्थी तिथि समाप्ति :~ 22 अगस्त रात्रि 07:56 बजे ।
भद्रा दोपहर 12:05 से रात्रि 09:34 बजे तक रहेगी ।
डाँ. अशोक शास्त्री ने बताया कि इस दिन सामवेदियों के श्रावणी उपाकर्म भी हैं । यह उपाकर्म भद्रा पूर्व प्रातः ही होगा ।
*नहीं होंगे सार्वजनिक आयोजन*
डाँ.अशोक शास्त्री ने बताया कि इस बार कोरोना को देखते हुए प्रशासन ने सार्वजनिक आयोजनों पर रोक लगा दी है। ऐसे में सड़क किनारे लगने वाले पंडाल भी नहीं दिखेंगे। जिसमें बड़ी प्रतिमाएं स्थापित की जाती रहीं। यह जरूर है कि घर-घर में छोटी प्रतिमाएं रखी जा सकती हैं। यही नहीं गणेश मंदिरों में भी पूजन के दौरान इस बात का ध्यान रखना होगा कि ज्यादा लोग शामिल न हों।
*गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन न करें*
डाँ.अशोक शास्त्री ने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन भूलकर भी चंद्रमा के दर्शन न करें। यदि आपने इस दिन चंद्रमा का दर्शन कर लिया तो आप पर कलंक या गलत आरोप लग सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी को चंद्रमा दर्शन के कारण ही भगवान कृष्ण पर स्यमंतक मणि चोरी करने का मिथ्या आरोप लगा था ।
डाँ.अशोक शास्त्री के मुताबिक अगर भूल से चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस दोष के निवारण के लिए नीचे लिखे मन्त्र का 28, 54 या 108 बार जाप करें। श्रीमद्भागवत के दसवें स्कन्द के 57वें अध्याय का पाठ करने से भी चन्द्र दर्शन का दोष समाप्त हो जाता है।
चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र:
सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।
2. ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
3. गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है। मतान्तर से गणेश जी की तीन परिक्रमा भी की जाती है।
*ज्योतिषाचार्य*
डाँ. पं. अशोक नारायण शास्त्री
श्री मंगलप्रद् ज्योतिष कार्यालय
245, एम. जी. रोड ( आनंद चौपाटी ) धार, एम. पी.
मो, नं, 9425491351
*गणेश जी से जुड़ी कथाएँ*
पौराणिक मतों के अनुसार गणेश जी से जुड़ी कुछ प्रचलित कथाएँ इस प्रकार हैं:
1. एक बार पार्वती जी स्नान करने के लिए जा रही थीं। उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक पुतला निर्मित कर उसमें प्राण फूंके और गृहरक्षा (घर की रक्षा) के लिए उसे द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया। ये द्वारपाल गणेश जी थे। गृह में प्रवेश के लिए आने वाले शिवजी को उन्होंने रोका तो शंकरजी ने रुष्ट होकर युद्ध में उनका मस्तक काट दिया। जब पार्वती जी को इसका पता चला तो वह दुःख के मारे विलाप करने लगीं। उनको प्रसन्न करने के लिए शिवजी ने गज(हाथी) का सर काटकर गणेश जी के धड़ पर जोड़ दिया। गज का सिर जुड़ने के कारण ही उनका नाम गजानन पड़ा।
2. एक अन्य कथा के अनुसार विवाह के बहुत दिनों बाद तक संतान न होने के कारण पार्वती जी ने श्रीकृष्ण के व्रत से गणेश जी को उत्पन्न किया। शनि ग्रह बालक गणेश को देखने आए और उनकी दृष्टि पड़ने से गणेश जी का सिर कटकर गिर गया। फिर विष्णु जी ने दुबारा उनके हाथी का सिर जोड़ दिया।
3. मान्यता है कि एक बार परशुराम जी शिव-पार्वती जी के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत गए। उस समय शिव-पार्वती निद्रा में थे और गणेश जी बाहर पहरा दे रहे थे। उन्होंने परशुराम जी को रोका। इस पर विवाद हुआ और अंततः परशुराम जी ने अपने परशु से उनका एक दाँत काट डाला। इसलिए गणेश जी ‘एकदन्त’ के नाम से प्रसिद्ध हुए ।
*गणेश चतुर्थी को विभिन्न राशियों के फल*
मेष :-- इस राशि वाले लोगों के लिए गणेश चतुर्थी काफी फलदायी साबित होगा. संतान की ओर से अच्छी खबर मिल सकती है ।
वृषभ :-- इस राशि वाले लोगों के इस गणेश चतुर्थी से सभी अटके काम पूर्ण होंगे ।
मिथुन :-- इस राशि वाले लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी , समाज में सम्मान बढेगा ।
कर्क :-- कर्क राशि के जातकों का कोई बडा काम पूरा होगा । उसके जीवन में सुख शांति बढेगी ।
सिंह :-- इस राशि के जातक गणेश चतुर्थी पर सच्चे मन से पूजन करने पर विदेश यात्रा की इच्छा पूर्ण होगी ।
कन्या :-- इस गणेश चतुर्थी से कन्या राशि के जातकों का हर प्रयास सफल होगा । कोई बडा काम शुरु करने जा रहें हैं ।
तुला :-- इस गणेश चतुर्थी से कोई अच्छा काम शुरु करने जा रहें हैं । संतान सुख मिलेगा ।
वृश्चिक :-- इस राशि के जातकों को कोई बडी खुशी मिलने वाली हैं । जमीन संबंधी उनके अटके काम पूर्ण होंगे । आर्थिक तंगी दूर होगी ।
धन :-- इस राशि के जातकों की परिवार मे मधुरता बढेगी । जीवन साथी का पूरा सहयोग मिलेगा ।
मकर :-- इस गणेश चतुर्थी से इस राशि के जातकों का अच्छा समय आरंभ होगा ।
कुंभ :-- कुंभ राशि वालों के लिए यह गणेश चतुर्थी काफी शुभ होने वाली हैं । इन लोगों को अच्छी खबर मिलेगी । साथ यात्रा के भी योग हैं ।
मीन :-- मीन राशि वाले जातकों के लिए यह गणेश चतुर्थी काफी शुभ रहेगी । इस दिन नौकरी पेशा वाले लोगों को कोई शुभ समाचार मिलने की उम्मीद हैं । ( डाँ.अशोक शास्त्री )
*ज्योतिषाचार्य*
डाँ. पं.अशोक नारायण शास्त्री
श्री मंगलप्रद् ज्योतिष कार्यालय
245, एम. जी. रोड ( आनंद चौपाटी ) धार, एम. पी.
मो. नं. 9425491351
*--: शुभम् भवतु :--*
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