झाबुआ~गुणवत्ता को दरकिनार कर सस्ती सब्जियां ढूंढ़ते हैं होटल वाले, फिर उसमें मसाले डालकर बनाते हैं जायकेदार डिशेस-जिसे खाना हो सकता है हानिकारक ~~
झाबुआ। संजय जैन~~
बरसात के समय होटलों में खाना मतलब बीमारी को न्यौता देना है। इन दिनों सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं। अभी टमाटर, सभी प्रकार की भाजियां, पत्ता गोभी,गोभी व भटा आदि सब्जियां रंगत से फीकी और कमजोर हो चुकी हैं। खासकर टमाटर तो आधे सड़े ही निकलते हैं। जिनका सूप जायकेदार बनाते हुए सर्व कर दिया जाता है। कुल मिलाकर होटलों में गुणवत्ता को दरकिनार कर मुनाफे के लिए सस्ती सब्जियों की खोजबीन की जाती है। उसके बाद उसमें भरपूर मसाला मिलाते हुए जायकेदार डिश तैयार का परोस दिया जाता है।
जांच का जिम्मा प्रशासन का
होटलों की जांच का जिम्मा प्रशासन का है,लेकिन सख्ती न बरतने के कारण होटल संचालकों के हौसले बुलंद हैं। मनमाने तरीके से घटिया खाद्य सामग्रियों का सेवन ग्राहक को कराया जा रहा है। जो उनकी सेहत बिगाड़ता है। कायदे से टीमें गठित कर होटलों की जांच कराई जानी चाहिए कि वहां आने वाली खाद्य सामग्रियां कहां से खरीदी गई हैं। उनका बिल देखना चाहिए। सुबह सब्जी मंडियों से जब सब्जियों की खरीदी होती है तो उसकी जांच होनी चाहिए। होटल संचालक थोक सब्जी मार्केट से कम कीमत पर ऐसी सब्जियां खरीदते हैं,जो गुणवत्ताहीन होती हैं,जिसके सेवन के बाद सेहत बिगडऩा तय माना जाता है। सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर भी पकाया नहीं जाता। भरपूर कमाई के चक्कर में लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है।
लाल रंग डालकर सूप तैयार
अभी टमाटर महंगे हैं, लेकिन दबे हुए कुछ सड़े टमाटर सस्ती कीमत पर उपलब्ध हो जाते हैं। जिन्हें उबालने के बाद उसमें मसाला डालते हुए लाल रंग मिलाते हुए लजीज बनाने का काम किया जाता है। लुभावना दिखाने के लिए सूप में क्रीम की लेयर बिछा दी जाती है,जिससे ये पता लग ही नहीं पाता कि जो सूप पी रहे हैं वो आखिर में कितना सेहतमंद है....?
भूलकर न मंगाएं ये सब्जियां
यदि पालक पनीर या फिर भटे का भर्ता खाने का शौक है तो उसे ऑर्डर करने से पहले एक बार विचार जरूर करें,क्योंकि बारिश के मौसम में भाजियां जल्दी सड़ती हैं। उसमें छोटे-छोटे वर्मी जल्दी पनपते हैं। यही हाल पत्ता गोभी व फूल गोभी का भी होता है। घर पर बनाते समय भी इन सब्जियों को गुनगुने पानी में नमक डालकर धोया जाता हैं,लेकिन होटलों में सिर्फ एक बड़े बर्तन में सब्जियों को डालकर निकाल लिया जाता है। इससे सब्जियों की गंदगी साफ नहीं हो पाती,जो सेहत बिगाड़ती है।
भटे को भी भूनने या उबालने के बाद ये देखा नहीं जाता कि उसके भीतर कोई कीड़ा तो नहीं है,बस उसका भर्ता बना दिया जाता है।
फ्रोजन चिकिन,मटन और फिश का इस्तेमाल
जो लोग नॉनवेज के शौकीन हैं उनकी सेहत पर होटलों का खाना ज्यादा डंक मारता है। नॉनवेज जैसे कि चिकिन,मटन और फिश को बड़े फ्रीजर में स्टोर कर रख दिया जाता है। तंदूरी चिकिन तो कर्इ दिनों तक मैरिनेट कर रखा जाता है। जिसका सेवन नुकसानदायी होता है,वैसे भी नॉनवेज खाना वेज खाने से महंगा पड़ता है उसके बाद भी खाने की गुणवत्ता का ध्यान होटल संचालक नहीं रखते।
किचन पारदर्शी होना चाहिए
शासन को खाद्य सुरक्षा नियमों के तहत किचन पारदर्शी रखने की अनिवार्यता होटल संचालकों पर लागू करनी चाहिए,ताकि ग्राहक खुद ही अपनी टेबल पर बैठे-बैठे किचन के भीतर का नजारा देख सके। इसके अलावा यदि ग्राहक चाहे तो उसे किचन में भी जाने की अनुमति होना चाहिए,जो फिलहाल नहीं है।
होटलों पर य ेनियम हों लागू
* सब्जियों सहित अन्य खाद्य सामग्रियों का बिल दिखाना जरूरी हो।
* रखे भोजन के स्थान पर ग्राहक को तुरंत पका खाना परोसा जाए।
* किचन में ग्राहकों को जाने की अनुमति मिलनी चाहिए।
* भोजन के बाद फूड प्वॉयजनिंग की सूरत में होटल मालिक पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
* प्रशासन की टीम खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता की जांच करे।
* स्वच्छता अैार गुणवत्ता के आधार पर जिला प्रशासन होटलों की रेटिंग दे।
-फूड प्वॉयजनिंग का खतरा
होटलों में सब्जियों को अच्छे से धोकर उपयोग में नहीं लाते,साथ ही उसकी गुणवत्ता भी बेहतर नहीं होती,जो सेहत बिगाड़ती है। ऐसी सब्जियों मेें कुछ ऐसे कीड़े भी होते है। साथ ही फूड प्वॉयजनिंग का खतरा भी रहता है, इसलिए बारिश के मौसम में बाहर खाना खाने से बचना चाहिए।
.....डॉ.किराड़-जिला अस्पताल झाबुआ।
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झाबुआ~गुणवत्ता को दरकिनार कर सस्ती सब्जियां ढूंढ़ते हैं होटल वाले, फिर उसमें मसाले डालकर बनाते हैं जायकेदार डिशेस-जिसे खाना हो सकता है हानिकारक ~~
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